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एक सफल फलित ज्योतिष के लिए आवश्यक है कि उसका फलादेश परिस्थितिजन्य या पूर्वाग्रहों से प्रभावित न हो ऐसी कोई भी कुंडली नहीं होती जिसमे कोई दोष या अशुभ प्रारब्ध फल की सूचना निहीत न हो l
ज्योतिष कर्म करने के लिए शुभ दिशा का संकेत करते हुए हमें शुभ कर्म करने की प्रेरणा देते है l इसलिए इसे ‘’ज्योतिषं वेदनाम् चक्षु:'' की संज्ञा प्राप्त है l प्रस्तुत पुस्तक फलित ‘’फलित ज्योतिष अभ्यास पुस्तिका के निर्माण का यही प्रमुख उद्देश्य है कि जिज्ञासु छात्र अपने अध्ययन का अभ्यास सही दिशा में करते हुए ज्योतिष के वैज्ञानिक स्वरुप को स्वरुप को और उज्जवल बनावें l फलित सूत्रों को जान लेने मात्र से काम नहीं बनेगा l प्रत्युत उसका निरंतर अभ्यास एवं परिणामों का आकलन करते रहने से सही दिशा में फलादेश करने का आत्मा विश्वास दृढ़ होगा l यहाँ पर आपको सावाधान करना चाहूँगा कि ज्योतिष शास्त्र के फलित सूत्रों का कभी भी उल्लघन नहीं करेगें l तथा अपनी आत्मवंचना से सदैव बचने रहेगें l
प्रस्तुत पुस्तक में द्वादश लग्नों से संबंधित कुंडलियों की शास्त्रीय विवेचना प्रस्तुत की गयी है l इसको समझते हुए प्रायोगिक सूत्रों को आत्मसात करने का प्रयास करेगें l विश्वास रखिये सद्कार्य में ईश्वर सदैव सहायक होता है l
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